THE BEST SIDE OF SHIV CHAISA

The best Side of Shiv chaisa

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पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥

अर्थ: हे भगवन, देवताओं ने जब भी आपको पुकारा है, तुरंत आपने उनके दुखों का निवारण किया। तारक जैसे राक्षस के उत्पात से परेशान देवताओं ने जब आपकी शरण ली, आपकी गुहार लगाई।

त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥

अर्थ: हे प्रभु जब क्षीर सागर के मंथन में विष से भरा घड़ा निकला तो समस्त देवता व दैत्य भय से कांपने लगे (पौराणिक कथाओं के अनुसार सागर मंथन से निकला यह विष इतना खतरनाक था कि उसकी एक बूंद भी ब्रह्मांड के लिए विनाशकारी थी) आपने ही सब पर मेहर बरसाते हुए इस विष को अपने कंठ में धारण किया जिससे आपका नाम नीलकंठ हुआ।

किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी॥

पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥

कानन कुण्डल नागफनी के ॥ अंग गौर शिर गंग बहाये ।

अर्थ: जो कोई भी धूप, दीप, नैवेद्य चढाकर भगवान शंकर के सामने इस पाठ को सुनाता है, भगवान भोलेनाथ उसके जन्म-जन्मांतर के पापों का नाश करते हैं। अंतकाल में भगवान शिव के धाम शिवपुर अर्थात स्वर्ग की प्राप्ति होती है, उसे मोक्ष मिलता है। अयोध्यादास को प्रभु आपकी आस है, आप more info तो सबकुछ जानते हैं, इसलिए हमारे सारे दुख दूर करो भगवन।

Glory to Girija’s consort Shiva, who's compassionate on the destitute, who always protects the saintly, the moon on whose forehead sheds its gorgeous lustre, Shiv chaisa As well as in whose ears are classified as the pendants from the cobra hood.

नमो नमो जय नमः शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥

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कहे अयोध्या आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥

कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥

द्वादश ज्योतिर्लिंग मंत्र

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